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लेखनी कहानी -01-Jun-2023 कातिल कौन

भाग 35 
केस बहुत इंट्रेस्टिंग हो गया था । जिसने ब्रह्मास्त्र छोड़ा था वह घूम कर उसी की ओर जाने लगा था । थानेदार मंगल सिंह इससे बहुत परेशान हो गया था । इससे वह फंस रहा था केस में । उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा । लेकिन सबूत तो उसके खिलाफ ही जा रहे थे । ऐसे में एक ही तरीका बचता है उसके पास । अरे वही जो दामिनी फिल्म में अमरीश पुरी ने सन्नी देओल पर लागू किया था "दे दनादन" वाला !  मंगल सिंह अंर नीलमणी त्रिपाठी जैसे लोग अंत में वही तरीका अपनाते हैं केस जीतने के लिए । 

हीरेन उन तीनों वकीलों को साथ लेकर अनुपमा के घर आ गया था । उनके साथ सरकारी वकील नीलमणी त्रिपाठी और सक्षम, अनुपमा तथा अक्षत भी थे । कत्ल के पश्चात सक्षम वगैरह को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था और उन्हें जमानत भी नहीं मिली थी । इसलिए वे लोग आज बहुत दिनों के बाद अपने मकान को देख रहे थे । मंगल सिंह ने इस केस की तफ्तीश की थी । उसने भी उसी दिन का देखा था वह मकान । वह आज भी इस दल के साथ आया था । अदालत से चाबियां भी वही लेकर आया था । 

मकान को देखकर अनुपमा बुरी तरह बिलख उठी थी । ये वही मकान है जिसमें उसकी जिंदगी के न जाने कितने हसीन पल गुजरे थे । सक्षम के साथ बिताए गये वे खूबसूरत पल उसे याद आने लगे थे । घर के हर हिस्से से उसकी यादें जुड़ी हुई थीं । "यहां बैठकर मस्ती करते थे । वहां पर छेड़छाड़ । जब अनुपमा झूठमूठ रूठने का अभिनय करती थी तो उस जगह जाकर बैठ जाती थी । उसकी आंखों के आगे पुरानी यादें एक फिल्म की तरह चलने लगीं । 

31 मई की रात ने उसकी जिंदगी बरबाद करके रख दी थी । अनुपमा की ऐसी स्थिति देखकर उसे सांत्वना देने के लिए सक्षम आगे आया तो अनुपमा उससे लिपट कर रो पड़ी । सक्षम की आंखों से भी गंगा जमना बहने लगी । कितने दिनों बाद वे दोनों एक दूसरे से लिपटे थे । चाहे दुख में ही सही पर एक दूसरे का स्पर्श तो मिल रहा था उन्हें । भावनायें स्पर्श से कैसे एक दूजे के बदन में चली जाती हैं, पता ही नहीं चलता है । ये चंद पल उसके लिए अविस्मरणीय बन गये थे । सक्षम अनुपमा के सिर पर हाथ फिरा रहा था और पीठ पर हल्की हल्की थपकियां दे रहा था जैसे किसी बच्चे को सुला रहा हो । इससे अनुपमा को बहुत राहत मिली थी । 

पूरी टीम ने घर के अंदर प्रवेश किया । सारा सामान वैसा ही पड़ा था जैसा 1 जून को अनुपमा ने देखा था । किचन में रखा हुआ केक सड़ गया था और उसकी बदबू पूरे घर में फैल रही थी । सब लोगों ने अपनी नाक पर रुमाल रख लिया । उस केक को फेंक दिया गया । मौका कमिश्नर दल उस घर का मौका मुआयना करने लगा । 

खिड़की का मौका देखा गया तो खिड़की के पास हीरेन को एक स्क्रू मिला । हीरेन ने वह स्क्रू निरीक्षण दल को दिखाया और उसे दल ने अपने कब्जे में ले लिया । हीरेन ने वहां इधर-उधर नजरें दौड़ाई तो उसे एक पीली पीली चीज दिखाई दी । हीरेन ने उसे उठकर देखा तो वह एक सोने का बटन था । दल ने सक्षम और अक्षत से पूछा कि क्या वे सोने का बटन लगाते हैं , दोनों ने इंकार कर दिया । सोने के बटन को भी अपने कब्जे में ले लिया । 

स्क्रू को देखकर हीरेन को याद आया कि उस खिड़की में शायद ग्रिल लगा दी गई थी और वह स्क्रू उसी का था शायद । हीरेन ने उस खिड़की को गौर से देखा तो पाया कि उसमें चार स्क्रू की जगह बनी हुई थी । हीरेन सहित दल ने इन सबके फोटोग्राफ भी ले लिये । निरीक्षण से काफी सारे सबूत और मिल गये थे । उसके बाद सब लोग ऊपर छत पर चले गये । अक्षत का कमरा खोला और उसका मुआयना किया गया । अक्षत के कमरे में रखी कुर्सी के हत्थे पर कुछ लगा हुआ था । उसके भी फोटोग्राफ लेकर उसे जब छूकर देखा तो पाया कि वह किसी की शर्ट का एक छोटा सा टुकड़ा था । हीरेन ने कुर्सी के हत्थे को हाथ से टटोल कर देखा तो पाया कि उसमें एक कील बाहर की ओर निकली हुई है और उसमें किसी की शर्ट उलझ गई थी जिसका टुकड़ा उसमें फंसा रह गया था । उस टुकड़े को देखकर लग रहा था कि वह खाकी रंग का है । हीरेन को सारा माजरा कुछ कुछ समझ में आने लगा था । पूरे घर का निरीक्षण करने के बाद टीम अपने अपने घर चली गई और सक्षम, अनुपमा और अक्षत को जेल भेज दिया गया । 

हीरेन का दिमाग इन नये सबूतों में उलझा हुआ था । वह एक से एक कड़ी जोड़ते हुए टैक्सी स्टैंड तक पैदल ही जा रहा था कि अचानक कुछ लोगों ने उस पर आक्रमण कर दिया । तीन चार लोग उस पर चाकू , लाठी और सरिया लेकर टूट पड़े थे । हीरेन कोई फिल्मी हीरो तो था नहीं जो इन गुण्डों को पानी पिला देता और उनकी जमकर धुनाई कर देता ? उसने अपनी क्षमता के अनुसार उनका भरपूर सामना किया और खुद को बचाने का प्रयास किया । लेकिन दो चार लाठी के वार उस पर पड़ चुके थे । उसे लगा कि आज उसकी जिंदगी का अंतिम दिन है शायद । तब उसने मन ही मन भगवान से प्रार्थना की 
"हे प्रभु , मुझे इतना तो जीवन दे दो जिससे मैं एक निर्दोष स्त्री पर लगे कलंक को मिटा सकूं । इन तीनों निर्दोष प्राणियों को बचा सकूं मैं । अब मेरा जीवन तेरे हाथ में है प्रभु" । 

भगवान ने उसकी प्रार्थना सुन ली । सच्चे मन से भगवान को याद करो तो भगवान अवश्य सुनते हैं । उसकी रक्षा के लिए भगवान ने चार पांच आदमी भेज दिये थे । हीरेन उन गुंडों का सामना कर रहा था कि इतने में उसने देखा कि चार पांच लोग न जाने कहां से आये और उन गुंडों पर एकसाथ टूट पड़े । गुंडे उसे वहीं छोड़कर भाग गये । उन लोगों ने हीरेन को संभाला । हीरेन के दो चार लाठी पीठ में पड़ी थी इसलिए उसे कोई बहुत ज्यादा चोटें नहीं आई थीं । जिन लोगों ने उन्हें बचाया था उन्होंने अपना मेकअप हटाया तो पता चला कि वे सब हीरेन के ही आदमी थे जिन्होंने उसे बचाया था । ये लोग वेश बदलकर अपना काम करते हैं जिससे लोग उन्हें पहचान नहीं पायें और उन पर कोई आक्रमण नहीं हो । उन्होंने "दामिनी" फिल्म देख रखी थी इसलिए उन्हें विश्वास था की मंगल सिंह और नीलमणी त्रिपाठी दामिनी फिल्म के खलनायक वकील चड्ढा की तरह यही हथकंडा अपनाएंगे । इसलिए वे लोग वेष बदल कर हीरेन पर निगरानी कर रहे थे । जैसे ही उन्होंने उन गुंडों को हीरेन पर आक्रमण करते हुए देखा तो वे उन पर टूट पड़े । "ये फिल्में भी हमें कितना कुछ सिखा देती हैं ना" ? 

हीरेन को अस्पताल ले जाया गया । उसका एक्सरे कराया जो सही निकला । बस, लाठियों की चोट के निशान थे और दर्द था । डॉक्टर ने दर्द के लिए एक इंजेक्शन लगा दिया और घावों पर लगाने के लिए एक ऑइन्टमेन्ट लिख दिया था । कुछ एण्टीबायोटिक भी दे दी थी । हीरेन अपने घर आ गया । 

इस घटना के बारे में हीरेन ने मीना को कुछ नहीं बताया था मगर न जाने कैसे उसे पता चल जाता है कि हीरेन को कोई तकलीफ है । घर पहुंचते ही मीना का फोन आ गया । वह अपना दर्द छुपाते हुए झूठी हंसी हंसकर बोला 
"कैसी हो जानेमन, जानेबहार , जानेजां" ? 
"आपके चोट कैसे आई ? अभी तो अदालत में बिल्कुल ठीक थे फिर अचानक ये कैसे क्या हुआ" ? मीना की घबराई हुई आवाज सुनाई दी हीरेन को । 

मीना की इन बातों को सुनकर हीरेन दंग रह गया । मीना को कैसे पता चला ? अंतर्यामी है क्या वह ? उसने मीना के वहम को दूर करने के लिहाज से जबरदस्ती हंसते हुए कहा "कैसी चोट ? कौन सी चोट ? चोट आयें हमारे दुश्मनों को । हां, चोट तो दिल पर लगी हुई है जानेमन , जिसे केवल तुम ही ठीक कर सकती हो । लव यू जानूं" । हीरेन ने पूरा प्रयास किया कि मीना को इस दुर्घटना का पता नहीं चले । पर मीना तो मीना है । वह हीरेन की रग रग से वाकिफ है । 
"रहने दो, रहने दो । आप झूठ नहीं बोल सकते हो । आपकी जुबान से जब भी झूठ निकलता है, तब आप पकड़े जाते हो । मैं आ रही हूं अभी । किसी तरह की चिंता मत करना" । मीना ने फोन काट दिया । 

बड़ी जिद्दी लड़की है मीना । हीरेन पर अपनी जान छिड़कती है । सोते जागते , उठते बैठते बस उसी का ध्यान करती रहती है । अलौकिक प्रेम है उसका । जितना वह हीरेन से प्यार करती है उतना तो वह खुद से भी नहीं करती है । न जाने किस मिट्टी की बनी है वह ? इस लोक की नहीं लगती है मीना । न जाने कहां की परी है वह जो केवल हीरेन के लिए ही इस धरती पर आई हो जैसे । यह सोचकर हीरेन का दर्द खत्म हो गया और उसके होंठ गोल होकर सीटी बजाने लगे । 
"परी रे तू कहां की परी , धरती पे आई कैसे ? 
कैसे कहूं लगन तेरी , धरती पे लाई ऐसे , कि खिंचती चली आई ऐसे" । 

थोड़ी देर में मीना उसके घर पर थी । मीना को देखकर हीरेन का स्टॉफ चला गया । समझदार लोग "दाल भात में मूसलचंद" नहीं बनते हैं । हीरेन को देखकर मीना की चीख निकल गई 
"ये क्या हुआ आपको ? कब,  कैसे हुआ ? मुझे बुलाया क्यों नहीं ? दर्द में भी मुझे याद नहीं किया । ये कैसा प्यार है आपका" ? कहकर मीना हीरेन से लिपट गई । 

मीना के लिपटते ही हीरेन के मुंह से "आह , ओह" की आवाज निकलने लगी तो मीना उससे दूर हो गई । हीरेन का बदन चोटों के कारण दर्द कर रहा था । उसने आव देखा न ताव और उसे "किस" करने लगी । 
"ये क्या कर रही हो" हीरेन ने पूछा 
"कुछ मत बोलो तुम । बस, चुपचाप लेटे रहो । यह एक नई टेक्निक है जिसका नाम है "किस थैरेपी" । इस थैरेपी में पूरे बदन पर किस किया जाता है और विशेषकर चोट वाली जगह पर । चमत्कारिक असर होता है इस थैरेपी का । अभी थोड़ी देर में आराम आ जाएगा । मीना के विश्वास को देखकर हीरेन को भी विश्वास हो गया कि वाकईयह "किस थैरेपी" बड़ी चमत्कारिक थैरेपी है और इससे वह पूरी तरह ठीक हो जाएगा । । मीना रात भर उसकी सेवा करती रही ।

श्री हरि 
23.6.23 

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3 Comments

Gunjan Kamal

03-Jul-2023 09:25 AM

वाह बेहतरीन भाग

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Punam verma

24-Jun-2023 08:25 AM

Very nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

24-Jun-2023 10:00 AM

🙏🙏

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